बादल को घिरते देखा है(कविता ) कवि नागार्जुन प्रश्न उत्तर भाग 5.
"शत-शत निर्झर निर्झरिणी कल
मुखरित देवदारू कानन में ..............................मृदुल मनोरम अंगुलियों को बंसी पर फिरते देखा है | बादल को घिरते देखा है |"
प्रश्न 1. कवि नागार्जुन ने हिमालय की घाटियों में निवास करने वाले लोगों के कलामय जीवन का सुंदर वर्णन किया है | इस वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए --
उत्तर --कवि नागार्जुन हिमालय में रहने वाले लोगों के जीवन से बड़े प्रभावित हुए | प्रकृति का वर्णन करने के साथ-साथ उन्होंने वहां के लोगों के कलामय जीवन का भी सुंदर वर्णन किया है | कवि कहते हैं कि हिमालय की घाटियों में देवदारू कानन में रहने वाले लोग किन्नर और किन्नरियाँ हैं | ये प्राकृतिक वस्तुओं से अपना श्रृंगार करते हैं और प्राकृतिक वस्तुओं का ही अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं, ये लोग भोज पत्रों की बनी हुई झोपड़ियों में रहते हैं, ये भोजपत्र श्वेत और लाल रंग के होते हैं | इन लोगों ने फूलों से ही अपना श्रृंगार कर रखा हैं | किन्नरियों ने अपने बालों में सुंदर फूल लगा रखे हैं और इंद्रनील की माला अपने सुंदर गलों में पहन रखी है | इनके कानों में कुंडल के रूप में फूल ही शोभायमान है ! कुछ किन्नरियों ने सौ दल वाले कमल के फूलॊ को अपनी चोटी में सजा रखा है | ये लोग अंगूरों से बनी शराब का सेवन करते हैं और सेवन भी अद्भुत तरीके से करते हैं | इनके सामने लाल चंदन की एक त्रिपदी है, उसके के पास कस्तूरी मृग की छाल बिछी हुई है जो बहुत ही मुलायम है, उस मृग की छाल पर वे बैठे हैं | लाल चंदन की त्रिपदी पर चांदी से बना हुआ पान पात्र रखा है, जिस पर मणियाँ कलामय ढंग से सजी हुई हैं | पान पात्र में अंगूर रस की शराब है और वे लोग इसका सेवन कर हैं | शराब का सेवन करने से इनकी आंखें लाल हो रही है और वे मस्त होकर बाँसुरी बजा रहे हैं | कवि ने उनकी मृदुल और सुंदर उंगलियों को बंसी फिरते हुए देखा |
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