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भक्तिन पाठ के प्रश्न उत्तर भाग- 2 (by Avadh sir )

भक्तिन पाठ के प्रश्न उत्तर भाग- 2 


     प्रस्तुत पंक्तियों को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --


“इस दंड विधान के भीतर कोई ऐसी धारा नहीं थी जिसके अनुसार खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी से पति को विरक्त किया जा सकता | सारी चुगली चबाई की परिणति, उसके पत्नी प्रेम को बढ़ाकर ही होती जेठाणियाँ बात-बात पर धमाधम कूटी-पीसी जाती, पर उसके पति ने कभी उंगली भी नहीं छुआई , वह बड़े बाप की बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता भी बहुत रहा होगा I"                                                                                                         


प्रश्न 1. खोटे सिक्कों की टकसाल किसे और क्यों कहा गया है ?                                                               उत्तर- भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल कहा गया है क्योंकि भक्तिन ने परिवार की परंपरा को तोड़कर तीन कन्याओं को जन्म दिया था | समाज में उस समय कन्या के जन्म को खोटा सिक्का समझा जाता था और कन्याओं को जन्म देने वाली मां को खोटे सिक्कों की टकसाल कहा जाता था | यह एक सामाजिक बुराई थी | जिठानियों और सास ने पुत्रों को जन्म दिया था |                                                                                    


प्रश्न 2." सारी चुगली चबाई की परिणति उसके पत्नी प्रेम को बढ़ाकर ही होती थी " पंक्ति को स्पष्ट कीजिए--    उत्तर -लक्ष्मी का पति जब घर आता तो सास और जिठानियो खूब चुगली करती और उसकी बुराई करती | लक्ष्मी की जितनी बुराई की जाती, पति का प्रेम उतना ही लक्ष्मी  के प्रति बढ़ता ही जाता, क्योंकि वह जानता था कि उसकी पत्नी अपने  काम से काम रखने वाली, स्वाभिमानी और परिश्रमी है I

|                                                                                                                                         


प्रश्न 3. गाय भैंस खेत खलियान अमराई के पेड़ आदि के संबंध में किस का ज्ञान ही बढा -चढा था और कैसे ?                           उत्तर- गाय भैंस ,खेत खलियान ,अमराई के पेड़ आदि के संबंध में लक्ष्मी का ज्ञान ही बढ़ा -चढ़ा था, क्योंकि गाय -भैंस, खेत-खलियान का सारा काम लक्ष्मी ही करती थी | हम सभी जानते हैं कि जो काम करेगा, वही उस काम के बारे में अच्छी तरह जान सकता है | लक्ष्मी की जिठानियों और जेठ आदि कोई भी घर का काम नहीं करते थे और न ही खेत खलिहान में काम करते थे,  इसकारण उन्हें खेत खलिहान, गाय भैंस के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी |                                                                                                                                                


प्रश्न 4. बंटवारे में लक्ष्मी ने जो प्राप्त किया वह सबसे अच्छा ही रहा I कैसे ?          उत्तर - लक्ष्मी बहुत समझदार थी | खेत -खलिहान अमराई के पेड़ और गाय -भैंस के बारे में लक्ष्मी का ज्ञान सबसे बढ़ा- चढ़ा था, इसलिए वह जानती थी कि खेत का कौन- सा भाग अच्छा है और कौन- सी गाय और भैंस अच्छी है, इसलिए बंटवारे में जो कुछ उसने लिया, वह असंतोष की मुद्रा के साथ लिया ताकि किसी को संदेह न हो कि लक्ष्मी जो कुछ प्राप्त कर रही है, वह सबसे अच्छा ही प्राप्त कर रही है | इस प्रकार उसने अपनी समझदारी से बँटवारे में जो कुछ लिया अच्छा ही लिया |


  प्रश्न 5. भक्तिन लेखिका के काम में किस प्रकार सहायता करती थी और पुस्तक प्रकाशित होने पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती थी?                                                                                                                        


उत्तर -वह लेखिका के काम में कोई सहायता नहीं कर सकती थी, पर इस बात को स्वीकार नहीं करती थी, इसी कारण वह द्वार पर बैठकर बार-बार कुछ काम बताने का आग्रह करती|  कभी उत्तर पुस्तकों को बांधकर, कभी अधूरे चित्रों को कोने में रखकर, कभी रंग की प्याली को धोकर, कभी चटाई को झाडकर सहायता पहुंचाती थी| लेखन कार्य में व्यस्त होने के कारण कई बार लेखिका भोजन के लिए नहीं उठती थी, इसलिए लेखिका को कहीं भूख का एहसास नहीं हो, भक्तिन दही का शरबत ,कभी तुलसी की चाय बनाकर लेखिका को देती थी| लेखिका की पुस्तक प्रकाशित होने पर भक्तिन वैसे ही प्रसन्नता से चमक उठती, जैसे स्विच दबाने से बल में छिपा आलोक | वह अकेले में उस पुस्तक को बार-बार छूती, आंखों के निकट ले जाकर और सब ओर घुमा फिरा कर उस पुस्तक में अपनी सहायता का अंश खोजती |                                                                                                       


प्रश्न 6 भ्रमण के दौरान लेखिका की साथिन भक्तिन ही होती थी | भक्तिन भ्रमण के दौरान अपना सेविका धर्म किस प्रकार निभाती थी ?                                                                                                                  


उत्तर -बद्रीनाथ केदारनाथ आदि के ऊंचे ऊंचे पहाड़ी रास्तों में वह लेखिका के आगे चलती और गांव की धूल भरी पगडंडी में वह पीछे चलती थी | पहाड़ी इलाकों में पहाड़ी इलाकों में वह इसलिए आगे चलते थी कि लेखिका का पैर कहीं हिलने वाले पत्थर पर न गिर जाए और  गांव की धूल भरी पगडंडी में पीछे इसलिए चलती थी ताकि उसके पैरों की धूल उड़ कर लेखिका पर न गिरे | यात्रा के दौरान भक्तिन छाया की तरह लेखिका के साथ रहती थी |                                                                                                                                       


प्रश्न 7. युद्ध ने वीरता के स्थान पर प्लायनवृत्ति जगह दी ,तब भक्ति ने लेखिका से क्या अनुरोध किया ?            उत्तर -वीरता के स्थान प्लायनवृत्ति जगने पर भक्तिन ने लेखिका से अनुरोध किया कि वे उसके साथ उसे गांव चल सकती है| वहां वह किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने देगी | वह लकड़ी के मचान पर अपनी नई धोती बिछाकर लेखिका के कपड़े रख देगी, दीवार में की लें गाडकर उन पर तख्ते रखकर किताबें सजा देगी ,धान के पुआल  का गोंदरा बनाकर और उस पर अपना कम्बल  बिछा देगी ,जिससे लेखिका आराम कर सकेगी | स्याही -कलम आदि को नई हंडिया में सजा कर रख देगी | 


प्रश्न 8.  भक्तिन के किस कार्य को देखकर लेखिका को लगने लगा कि इस सेवक का साथ निभाना टेढ़ी खीर है ? त्तर- भक्तिन लेखिका के यहां सेवा धर्म में प्रवेश करती है, तब उसकी वेशभूषा में गृहस्थ और वैराग्य का सम्मिश्रण देखकर लेखिका को शंका होती है | अगले दिन सवेरे जल्दी उठकर वह कई लोटे अपने सिर पर पानी के डालकर और लेखिका की धुली साड़ी को जल के छींटो से पवित्र करके पहनती है, उसके बाद पीपल और सूर्य को जल समर्पित करके दो मिनट नाक दबाकर जप करने के उपरांत जब रसोई में प्रवेश करती है और प्रवेश करते ही एक कोयले से मोटी रेखा खींचती है ताकि कोई उसकी सीमा में प्रवेश न करे | भक्तिन के नियम बड़े कठोर थे |  यह देखकर लेखिका विचार करती है कि इस सेवक के साथ निभाना टेढ़ी खीर होगी |



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