कहानी - भेड़ें और भेड़िए {श्री हरिशंकर परसाई } प्रस्तुत कहानी वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था और चालाक व ढोंगी राजनेताओं की पोल खोलने के उद्देश्य से लिखी गई है | कहने को तो वर्तमान में प्रजातंत्र है लेकिन वास्तविक प्रजातंत्र की स्थापना अभी तक नहीं हो सकी है | प्रजातंत्र में जनता का हित छिपा होता है जबकि वर्तमान में प्रजातंत्र होते हुए भी जनता के हितों को ध्यान में नहीं रखा जाता है | राजनेता अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे रहते हैं | प्रतीकों के माध्यम से लेखक ने अपनी बात को स्पष्ट किया है | कहानी में भेडेें भोली भाली प्रजा की प्रतीक है , भेड़िए चालाक व ढोंगी नेताओं के प्रतीक है और सियार चापलूस व मौकापरस्त लोगों के प्रतीक हैं | पात्र परिचय और चरित्र चित्रण --- भेड़े - प्रस्तुत कहानी में भेडेें स्वभाव से निहायत नेक, ईमानदार, कोमल, दयालु और निर्दोष है | भेड़िए उन पर अत्याचार करते हैं |
जैसे ही वन प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना की बात फैली, भेड़ों में उत्साह देखा गया | उन्हें लगने लगा कि अब उनके अच्छे दिन शुरू होने वाले हैं | वे अपने प्रतिनिधियों से कहकर कानून बनवाएंगी कि कोई जीव किसी को न सताए और न मारे | 'जीवो और जीने दो' का सिद्धांत लागू करें | यहां कहानी में भेडेें भोली भाली मासूम जनता की प्रतीक है, जिनका शोषण राजनेताओं के द्वारा किया जाता है | अपने भोलेपन के कारण वे वापस भेड़िए के चंगुल में फंस जाती है और चुनाव के दिन उन्हीं को अपना वोट दे आती है | सरकार भेड़िए की बन जाती है और भेड़ों का शोषण शुरू हो जाता है | भेड़िए - भेड़िए हिंसक प्राणी है जो जंगल के छोटे-मोटे जीवों का शिकार करते हैं | कहानी में भेड़िए ऐसे राजनीतिज्ञों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाकर अपने चापलूसो के माध्यम से जनता को विश्वास में ले लेते हैं और चुनाव जीत जाते हैं | चुनाव जीतने के बाद केवल अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे रहते हैं | कहानी में भेड़िए भेड़ों का शोषण करते है| प्रजातंत्र की स्थापना होने के बाद भी वे भेड़ों को बहकाकर चुनाव जीत जाते हैं और फिर उनका शोषण शुरू कर देते हैं | सियार वह रंगे सियार - कहानी में सियार व रंगे सियार उन चापलूस व मौका परस्त व्यक्तियों के प्रतीक हैं जो राजनेताओं के आगे पीछे घूम कर , उनकी हां में हां मिला कर अपने स्वार्थों को सिद्ध करते रहते हैं | बूढा सियार अनुभवी चापलूस है, इसलिए वह भेडियों को चुनाव जितवाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करता है और रंगे सियारों को प्रचार के लिए तैयार करता है | उनको मालूम है कि भेड़ियों का शासन रहने से ही उनके स्वार्थों की पूर्ति हो सकती है | इसी प्रकार नेताओं के चापलूस व्यक्ति नेताओं को चुनाव जितवाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करते हैं और अपने स्वार्थों की पूर्ति करते हैं | BY-AVADH SIR
कहानी दो कलाकार के प्रश्नोत्तर (अभ्यास पुस्तिका ) by - Avadh Bihari 1. "अरे, यह क्या इसमें तो सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक दूसरे पर चढ़ रहे हैं | मानो सबकी खिचड़ी पकाकर रख दी हो | क्या घनचक्कर बनाया है ?" प्र श्न (i)."अरे, यह क्या " वाक्य का वक्ता और श्रोता कौन है ? कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए | उत्तर -- कथन की वक्ता अरुणा है और श्रोता चित्रा है | चित्रा ने नया चित्र बनाया था | अरुणा ने जब उसे देखा तो उसे समझ नहीं आया कि यह किस जीव का चित्र है | अरूणा ने चित्र को घूमा फिरा कर देखा और कहा कि किसी तरह समझ नहीं पा रही हू...
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जवाब देंहटाएंYou have done hard work for us.
To make this all.......
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Thank you sir for these notes
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