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सूखी डाली प्रश्न उत्तर (vi,vii)

 सूखी डाली प्रश्न उत्तर                                                                                                                       (VI)          "तुम भी बहन, …….बस क्या इतना पढ़ लिखकर छोटी बहू कपड़े धोएगी ?"    


           (क) उपर्युक्त वाक्य किसने किससे किस संदर्भ में कहा है ?                                                           उत्तर      - उपर्युक्त वाक्य बड़ी भाभी ने छोटी भाभी (जो परेश की मां है ) से कहा | दादाजी ने बेला को अपने कुछ कपड़े धोने को दिए थे | बेला ने वे कपड़े नहीं धोए | इसी बात पर छोटी भाभी परेशान होती हुई इंदु और बड़ी भाभी से कहती है कि पर दादाजी के कपड़े …...इसी संदर्भ में बड़ी भाभी  ने छोटी भाभी से उपर्युक्त वाक्य कहा |                                                   


(ख) छोटी बहू कौन है ? वह किस पारिवारिक परिवेश से आई है ?                                                                        उत्तर-छोटी बहू बेला है | वह परेश की पत्नी है | वह लाहौर के प्रतिष्ठित एवं संपन्न  कुल की सुशिक्षित लड़की है | उसके मायके में स्वच्छंद वातावरण है | दादा मूलराज के परिवार की तरह का अनुशासन नहीं है | बेला का परिवार आधुनिक सोच का है | उसके परिवार में नौकरों का कोई मान सम्मान नहीं है |                               .                                                                                      . 


(ग) वह परिवार से क्यों अलग होना चाहती थी ?                                                                                               -उत्तर बेला को लगता था कि इस परिवार में कोई उसे पसंद नहीं करता है, सब उसकी निंदा करते हैं | मिश्रानी को हटाने व फर्नीचर वाली बात पर बेला की निंदा हुई | इस पर उसे लगा कि इस परिवार में उसका कोई अस्तित्व नहीं है | इस कारण वह अलग होकर हस्तक्षेप रहित जीवन जीना चाहती थी |                                                                 


(घ) वह बात बात में किस बात की चर्चा करती थी ?                                                                                 वह बात बात में अपने मायके की चर्चा करते थी | उसे अपने मायके की संपन्नता तथा तौर तरीकाें पर घमंड था | वह अपने मायके के रहन -सहन व खान-पान को अच्छा बताती थी | वहाँ के नौकरों को अच्छा बताती थी|                                                                                               -------------------                                                 


        ( vii) "मैं कहां करता हूं ना बेटा कि एक बार पेड़ से जो डाली टूट गई , उसमें वह सरसता न आएगी और हमारा परिवार बरगद के इस महान पेड़ की भांति है |"                                                                                        


(क) वक्ता कौन है ? उसके मन में ये विचार किस घटना को देखकर आए?                                                           यह कथन परिवार के मुखिया दादा मूलराज का है | यह कथन उन्होंने उस समय कहा जब उनके घर के छोटे बच्चे आपस में खेल रहे थे और बरगद की डाल को आंगन में लगा रहे थे, उसे पानी दे रहे थे | दादाजी का मानना है कि पेड़ से जो डाल टूट गई, कितना ही पानी दो, वह हरी नहीं हो सकती |                                                                                        


(ख)  वक्ता ने अपने परिवार की तुलना बरगद के पेड़ से क्यों की है?                                                                          उत्तर- दादा मूलराज वट वृक्ष की संगति में रहने के कारण स्वयं को वट के समान समझने लगे थे और परिवार के सदस्यों को वट की डालियों की तरह अपना महत्वपूर्ण अंग मानते थे | अत:दादा मूलराज ने अपने परिवार की तुलना बरगद के पेड़ से की है |                                                                                                                                                                    (ग) 'एक बार वृक्ष से जो डाली टूट गई उसे लाख पानी दो वह सरसता न आएगी | ' इस कथन से क्या आशय है ?  .                                                      दादा जी के कहने का आशय है कि किसी भी कारण यदि परिवार का सदस्य परिवार से अलग हो गया तो लाख कोशिश करने पर भी परिवार के प्रति उसके मन में प्रेम पैदा नहीं किया जा सकता , चाहे उससे कितना ही मेलजोल क्यों न रखा जाए | जिस प्रकार से पेड़ से एक  डाली टूट जाती है उसे पानी देने के बाद भी उसे हरा नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार से परिवार से अलग होने वाले व्यक्ति के मन में कभी प्रेम पैदा नहीं किया जा सकता   |        


(घ)उपर्युक्त कथन किस एकांकी से लिया गया है ? उसमें एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है ?              उपर्युक्त  कथन सूखी डाली एकांकी से लिया गया है |  श्री उपेंद्र नाथ अश्क ने संदेश दिया है कि संयुक्त परिवार में रहने के लिए त्याग, प्रेम और व्यवहार कुशलता की आवश्यकता होती है | परिवार का मुखिया दूरदर्शी , बुद्धिमान और सब की बात सुनने वाला हो तो सब सदस्य एकता की डोर में बंधे रह सकते हैं | 


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