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जाग्रत भारत के भविष्यद्रष्टा स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर मित्रों के नाम पत्र By Avadh Bihari

प्रिय मित्रों, सप्रेम अभिवादन !                               आज 4 जुलाई है ! 4 जुलाई को ही महान दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है ! आज ही के दिन 1902 में स्वामी जी अनंत में लीन हो गए थे | इस पत्र के माध्यम से मैं उनके जीवन की कुछ विशेष बातें आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं, साथ ही इस पत्र के माध्यम से स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |                        स्वामी विवेकानंद प्राचीन और अर्वाचीन, प्राच्य और पाश्चात्य, आदर्श और व्यवहार, राष्ट्रीय और वैश्विक, विज्ञान और अध्यात्म का अनूठा मिश्रण थे | 1893 शिकागो धर्म संसद में अपने अद्भुत संबोधन से भारत भूमि के खोए हुए आत्म सम्मान और गौरव को पुन: प्रतिष्ठित करने का गौरव पूर्ण कार्य किया |               इनका पहला वैचारिक आंदोलन था-"उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको |" उनका संबोधन -" ओ! युवा भारत!" इसी संबोधन ने राष्ट्र के युवाओं को घोर निंद्रा से जगाने का कार्य किया |                                      उन्होंने युवाओं को संदेश दिया था --- -ह्रदय से अनुभव करो ,उपाय को जानो और पवित्र उद्देश्य से कार्य करो, तभी सफलता प्राप्त हो सकती है | स्वामी जी ने शिक्षा के बारे में कहा था -"शिक्षा मूलभूत आवश्यकता है ! शिक्षा से आत्मसम्मान व आत्मविश्वास पैदा होता है और आत्मविश्वास से अंतर्मन में बैठा ब्रह्म जागता है |"                                                                                 उनके जीवन का एक प्रेरणाप्रद दृष्टांत - एक बार 14 वर्षीय नरेंद्र नाथ ने पिता से पूछा -"मेरे लिए आपने क्या संपत्ति रखी है ? उनके पिता उनको दर्पण के सामने ले गए और कहा -"तुम स्वयं को देखो- सुगठित शरीर, तेजस्वी आंखें,निडर मन और तीव्र बुद्धि, क्या ये मेरे द्वारा दी हुई संपत्ति नहीं है|" इन्हीं संस्कारों से नरेंद्र नाथ युवावस्था तक पहुंचे थे | उन्होंने फिर कभी पिता से संपत्ति के बारे में नहीं पूछा था |                                                                                                          स्वामी जी ने 39 वर्ष की अल्पायु में संसार को त्याग दिया था,लेकिन अल्पायु में जो कुछ दिया, वह सभी को प्रेरणा देता रहेगा | उनके विचारों को आत्मसात करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है | युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी को शत-शत नमन ! आओ, नई शुरुआत करें - विवेकानन्द जी के साहित्य को पढ़ना शुरू करें | उनके साहित्य में सब कुछ सकारात्मक है |                   आपका मित्र                                                   अवधेश शर्मा.                                                                               SAINT MARY SR SEC SCHOOL SIKAR (हाल ही में स्वामी विवेकानन्द साहित्य को पढ़ा, इस पत्र में लिखी कुछ बातें इसी साहित्य का अंश है |)

टिप्पणियाँ

  1. उपयोगी जानकारी और उत्तम लेखन शैली।स्वामी विवेकानन्द जी को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन।

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