पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती हैं। वास्तव में यह सत्य भी है क्योंकि पुस्तकें ही हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाकर हमारे जीवन का उद्धार करती हैं। एक पुस्तक जिसमें ज्ञान की अनेक बातें होती हैं, उसे पढ़कर हमेशा हम कुछ ना कुछ नया अवश्य सीखते हैं और अपने जीवन में ज्ञान अर्जित करते रहते हैं। अनंत विषयों पर अनंत पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिसे पढ़कर मनुष्य ज्ञानी बन सकता है परंतु हर पुस्तक को खरीद पाना संभव नहीं है इसलिए पुस्तकालय बनाए जाते हैं। पुस्तकालय वह स्थान होता है जहां सैकड़ों विषयों की सैकड़ों पुस्तक रखी होती हैं। कोई भी व्यक्ति पुस्तकालय में आकर अपनी मनपसंद पुस्तकों का अध्ययन कर सकता है।इसमें लेश मात्र भी संदेह नहीं है कि पुस्तकालय ज्ञान का वह मंदिर है जहां जाने पर आप अनंत ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं। मनुष्य अपने मन में उठे प्रश्नों का तर्कपूर्ण उत्तर इस ज्ञान के मंदिर में आकर प्राप्त कर सकता है। पुस्तकालय में रखी पुस्तकें हमारे सभी प्रश्नों का ना केवल तर्कपूर्ण उत्तर देती है बल्कि इसके अतिरिक्त हमारे ज्ञान को भी बढ़ाती हैं।
पुस्तकालय में प्रवेश करने के पश्चात हमें पुस्तकालय के नियमों का अवश्य पालन करना चाहिए। पुस्तकालय के नियम सभी व्यक्तियों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं और ये नियम सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं। हमें यह भली-भांति ज्ञात होना चाहिए कि पुस्तकालय एक सार्वजनिक स्थान है जहां अन्य व्यक्ति भी ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य से आते हैं इसलिए यह हमारा कर्तव्य भी बनता है कि हम कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिससे पुस्तकालय में उपस्थित अन्य लोगों को परेशानी हो।
पुस्तकालय मनुष्य को सभ्य और ज्ञानी बनाता है इसलिए मनुष्य के जीवन में पुस्तकालय का महत्व अतुलनीय है। पुस्तकालय का उद्देश्य प्रत्येक मनुष्य तक ज्ञान को पहुंचाना है इसलिए हम सभी को पुस्तकालय का सम्मान करना चाहिए और सदैव ज्ञान के इस मंदिर को पूजनीय समझना चाहिए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें