सूखी डाली ( अभ्यास पुस्तिका प्रश्न viii, xi) "बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं -बड़प्पन तो मन का होना चाहिए और फिर बेटा घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता | (क) वक्ता और श्रोता का परिचय दीजिए तथा कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए. उत्तर -वक्ता दादा मूलराज है और श्रोता उनका मंझला पुत्र कर्मचंद है | दादा मूलराज परिवार के मुखिया हैं | अपनी बुद्धिमता और दूरदर्शिता से उन्होंने परिवार को आगे बढ़ाया है और संयुक्त रखा है | कर्मचंद उनका आज्ञाकारी पुत्र है | कर्मचंद के यह कहने पर कि छोटी बहू बेला इस घर से घृणा करती है और अपने मायके को बड़ा समझती है तब दादा मूलराज उसे समझाते हुए उपर्युक्त वाक्य कहते हैं | ( ख) वक्ता व श्रोता का संबंध स्पष्ट करते हुए वक्ता के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए. उत्तर - वक्ता दादा मूलराज व श्रोता कर्मचंद में पिता- पुत्र का संबंध है | दादा मूलराज कर्मचंद के पिता है और कर्मचंद उनका दूसरा नंबर का पुत्र है | दादा मूलराज बुद्धिमान, दूरदर्शी और मधुर स्वभाव के हैं | उनका धैर्य अद्भुत है | वे परिस्थिति को समझकर सही निर्णय लेने में अत्यंत कुशल है | बेला के अलग होने की बात पर दादा मूलराज ने परिजनों को उसका मन जीतने की सलाह दी | इस कारण बेला में परिवर्तन आया | (ग) 'मन के बड़प्पन 'से क्या आशय है ? उत्तर- मन के बड़प्पन का आशय है -अपने स्वभाव में बड़प्पन लाना | घृणा, द्वेष, क्रोध, अधीरता आदि को त्याग कर सभी का सम्मान करना , दूसरों के विचारों का आदर करना और घृणा करने वाले को भी स्नेह देना |
(घ) छोटी बहू कौन है ? उसके चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए. उत्तर- छोटी बहू बेला है | वह दादा मूलराज के पौत्र परेश की पत्नी है | उच्च व संपन्न घराने की होने के कारण उसमें दर्प की मात्रा अधिक है | उसमें किसी बात को धैर्य से कहने और समझाने क्षमता नहीं है, इसी कारण वह अधीर हो जाती है और क्रोधित हो जाती है | वह पढ़ी-लिखी है परंतु नासमझी के कारण वह अपने मायके को ससुराल से ऊंचा बताती है | ( IX) ठूंठा वृक्ष आकाश को छूने पर भी अपनी महानता का सिक्का हमारे दिलों पर उस समय तक नहीं बैठा सकता जब तक अपनी शाखाओं में ऐसे पत्ते नहीं लाता जिनकी शीतल छाया मन के समस्त ताप को हर ले और जिसके फूलों की भीनी भीनी सुगंध हमारे प्राण में पुलक भर दे |
(क) वक्ता और श्रोता कौन कौन है कथन का अर्थ स्पष्ट कीजिए - वक्ता दादा मूलराज है और श्रोता उनका पुत्र कर्मचन्द है | एकांकी के दूसरे दृश्य में कर्मचंद अपने पिता को बताता है कि बेला घर से अलग होना चाहती है | उसके मन में दर्प मात्रा ज्यादा है और वह अपने मायके को ऊंचा समझती है | हम सब से घृणा करती है | इस बात पर दादा मूलराज उसे समझाते हुए महानता का महत्व बताते हैं |
(ख) वक्ता का परिचय दीजिए . वक्ता दादा मूलराज है | वे 72 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं | वट की संगति में रहने के कारण वे वट की तरह ही महान दिखते हैं | साहस,परिश्रम, निष्ठा, दूरदर्शिता,बुद्धिमत्ता से अपने परिवार को संपन्न बनाते हैं और परिवार को एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं | स्वभाव से अत्यंत मधुर है |
(ग) वक्ता ने बड़प्पन और महानता के संबंध में क्या-क्या कहा?. उत्तर- दादा मूलराज ने अपने पुत्र को बड़प्पन के बारे में बताते हुए कहा कि बड़प्पन मन का होना चाहिए और घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता | महानता के संबंध में उन्होंने कहा कि महानता किससे मनवाई नहीं जा सकती | वह तो अपने व्यवहार से अनुभव कराई जाती है |
(घ) सूखी डाली एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए. एकांकी का उद्देश्य यह है कि संयुक्त परिवार में मिलकर रहने के लिए त्याग,समर्पण , प्रेम और दूसरों के विचारों को महत्व देने की आवश्यकता होती है | ऐसे में परिवार के मुखिया का रोल महत्वपूर्ण होता है | यदि वह दूरदर्शी, बुद्धिमान और सबको समान मानने वाला हो तो परिवार एकता के सूत्र बंधा रह सकता है | By -AVADH BIHARI
Nice
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