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एकांकी संचय - सूखी डाली (अभ्यास पुस्तिका के प्रश्नोत्तर[ IV, V ] ) By -- AVADH BIHARI

 एकांकी संचय - सूखी डाली (अभ्यास पुस्तिका के प्रश्नोत्तर )                                                                       (IV)  "फिर कैसे चलेगा हमारे घर में तो मिल कर रहना बड़ों का आदर करना, अपने घर की रूखी को दूसरों की चुपड़ी से अच्छा समझना, नौकरों पर दया और छोटो पर ………."                                                             


प्रश्न ( क) वक्ता और श्रोता कौन है ?  कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए.                                                             उत्तर- वक्ता छोटी भाभी है और श्रोता  बड़ी बहू और इंदु है | जब बड़ी बहू बेला के बारे में कहती है कि हमारा खान-पान, पहनना -ओढना  कुछ भी बेला को पसंद नहीं है | उसे हमसे हमारे पड़ोस से और हमारी हर बात से घृणा है | इस बात से छोटी भाभी परेशान होती है | इसी संदर्भ में छोटी भाभी यह कथन कहती है |                                                   


(ख) "फिर कैसे चलेगा" वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए- उत्तर- जब छोटी भाभी को पता चला कि बेला इस घर से  नफरत करती है तो उसे दुख हुआ | वह कहती है कि अगर उसका व्यवहार ऐसा ही रहा तो फिर इस घर में किस प्रकार से चल सकेगा क्योंकि इस परिवार में तो संस्कारों को महत्व दिया जाता है | प्रेम से रहना सिखाया जाता है | बेला यदि नफरत करती तो इस व्यवहार को कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा |           .                         .                 


(ग) उपर्युक्त पंक्तियों में वक्ता अपने परिवार की किस विशेषता का उल्लेख करा है?                                    उत्तर- छोटी भाभी ने अपने ससुराल के संस्कारों का उल्लेख किया है | दादा मूलराज के परिवार में  सब मिलकर रहते हैं,, बड़ों का आदर करते हैं, छोटों से स्नेह रखते हैं और नौकरों के आत्म सम्मान का भी ध्यान रखा जाता है |                              


(घ)  वक्ता के चरित्र की विशेषताएं                                                                                                                   उत्तर- वक्ता छोटी भाभी है | वह दादा जी के सबसे छोटे बेटे की बहू है और बेला की सास है | वह बहुत सहज और सरल महिला है | अपने ससुराल का बहुत सम्मान करती है |  उसके मन में किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं है || रजवा को हटाने की बात पर बेला को प्रेम से समझाती है |

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(v) "फर्नीचर पर मेरे दादा  बैठते थे,  पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे | उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी  फर्नीचर के सड़े  गले  होने की शिकायत नहीं की "                                                                           


(क) उपर्युक्त कथन का संदर्भ लिखिए |                                                                                                                 उत्तर- बेला दादा मूलराज के पौत्र परेश की पत्नी है | वह नवविवाहित है | आधुनिक विचारों की होने के कारण उसे अपनी ससुराल का पुराना फर्नीचर पसंद नहीं है | वह उसे बदलना चाहती है | परेश उसे समझाने का प्रयास करता है | इसी संदर्भ में यह बात वह बेला से कहता है |                                                                                            


(ग) कथन का वक्ता और श्रोता कौन है दोनों का परिचय दीजिए.                                                                उत्तर- कथन का वक्ता परेश है और श्रोता बेला है | परेश दादा मूलराज के सबसे छोटे पुत्र का बेटा है और नायब तहसीलदार है | बेला उसकी पत्नी है |बेला लाहौर के प्रतिष्ठित व संपन्न कुल की  उच्च शिक्षा प्राप्त युवती है .     


(ग) फर्नीचर के संबंध में किसका कथन उद्धृत किया जा रहा है ?                                                             उत्तर-  फर्नीचर के संबंध में परेश ने अपने दादा,पिता ,चाचा आदि का कथन उद्धृत किया है|  उसका कहना है कि इन लोगों को भी कभी इस पुराने फर्नीचर पर बैठने में शर्म नहीं आई और उन्होंने कभी सड़े गले होने की शिकायत नहीं की |                                                                                                                                                     


(घ) परेश का चरित्र चित्रण कीजिए  -                                                                                                                 उत्तर- परेश दादा मूलराज का पौत्र है | वह नायब तहसीलदार है | उच्च पद पर आसीन होने पर भी वह बहुत विनम्र और सीधा सादा युवक है | वह दादाजी का बहुत सम्मान करता है और बड़ों की आज्ञा को महत्व देता है | अपनी पत्नी बेला के व्यवहार कारण वह बहुत शर्मिंदा अनुभव करता है | 

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