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कहानी भेड़ें और भेड़िए ( प्रश्न उत्तर ) by- Avadh Sir

 कहानी भेड़ें और भेड़िए     प्रश्न उत्तर                                                                                             प्रस्तुत पंक्ति को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --                                                            "अरे, कहाँ की आसमानी बातें करता है, भला वह हमें काहे को चुनेंगे | अरे, कहीं जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है| मगर ऐसा हो सकता तो क्या   बात थी |  "                                             ...

कहानी भेड़ें और भेड़िए ( प्रश्न उत्तर भाग -- 1 )

कहानी 'भेड़ें और भेड़िए' प्रश्न उत्तर भाग 1.       पंक्तियों को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -                                "पशु समाज में इस क्रांतिकारी परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि सुख समृद्धि का स्वर्ण युग अब आया और वह आया" प्रश्न 1. यहां किस क्रांतिकारी परिवर्तन की बात की जा रही है ? उत्तर  -वन प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना ही क्रांतिकारी परिवर्तन है | वन  प्रदेश में भेड़ियों का शासन था |  वन के सभी पशु विशेष रूप से भेड़ेें अत्यंत दुखी थी | जैसे ही वन प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना की बात हुई, वैसे ही पूरे  प्रदेश में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई | भेेेड़ों व अन्य जानवरों को  लगने लगा कि जल्दी ही   उनके अच्छेे  दिन शुरू होने वाले हैं ! प्रश्न 2. इस क्रांतिकारी परिवर्तन के बारे में भेड़ों का क्या सोचना था ?                                  ...

कहानी - भेड़ें और भेड़िए {श्री हरिशंकर परसाई }

कहानी - भेड़ें और भेड़िए {श्री हरिशंकर परसाई }                                                                                           प्रस्तुत कहानी वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था और चालाक व ढोंगी राजनेताओं की पोल खोलने के उद्देश्य से लिखी गई है | कहने को तो वर्तमान में प्रजातंत्र है लेकिन वास्तविक प्रजातंत्र की स्थापना अभी तक नहीं हो सकी है | प्रजातंत्र में जनता का हित छिपा होता है जबकि वर्तमान में प्रजातंत्र होते हुए भी जनता के हितों को ध्यान में नहीं रखा जाता है | राजनेता अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे रहते हैं | प्रतीकों के माध्यम से लेखक ने अपनी बात को स्पष्ट किया है | कहानी में भेडेें भोली भाली प्रजा की प्रतीक है , भेड़िए चालाक व ढोंगी नेताओं के प्रतीक है और सियार चापलूस व मौकापरस्त लोगों के प्रतीक हैं |              ...

जाग्रत भारत के भविष्यद्रष्टा स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर मित्रों के नाम पत्र By Avadh Bihari

प्रिय मित्रों, सप्रेम अभिवादन !                               आज 4 जुलाई है ! 4 जुलाई को ही महान दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है ! आज ही के दिन 1902 में स्वामी जी अनंत में लीन हो गए थे | इस पत्र के माध्यम से मैं उनके जीवन की कुछ विशेष बातें आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं, साथ ही इस पत्र के माध्यम से स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |                        स्वामी विवेकानंद प्राचीन और अर्वाचीन, प्राच्य और पाश्चात्य, आदर्श और व्यवहार, राष्ट्रीय और वैश्विक, विज्ञान और अध्यात्म का अनूठा मिश्रण थे | 1893 शिकागो धर्म संसद में अपने अद्भुत संबोधन से भारत भूमि के खोए हुए आत्म सम्मान और गौरव को पुन: प्रतिष्ठित करने का गौरव पूर्ण कार्य किया |               इनका पहला वैचारिक आंदोलन था-"उठो...